अनुभूति में
शशिकान्त गीते
की रचनाएँ-
नई
रचनाओं में-
इक राजा था, इक रानी थी
महानगर
मुए केंचुए
रूप रस गंधों वाले दिन
स्लेट लिखे शब्दों के
दोहों में-
असली मंजिल दूर है
गीतों में-
आसमान गुमसुम रहता है
एक टिमटिम लौ
एक टुकड़ा धूप
कम्प्यूटर रोबोट
ताँगे वाला घोड़ा
दूर अभी मंजिल है
फूलों की घाटी में
भैंस सुनती
बाँसुरी
मन माँगे ठौर
रोटी से ऐटम-बम प्यारा
समय को नाथ!
संकलन में-
चंपा-
चंपा कुछ हाइकु
गंगा-
धार समय की
ममतामयी-
अम्मा चली गई
माँ के सपने
रक्षाबंधन-
राखी धागा सूत का
वर्षा मंगल-
बूँदों ने क्या छुआ देह को
हरसिंगार-
पारिजात के फूल
हाइकु
होली है-
मस्ती के फाग |
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कम्प्यूटर-रोबोट
हम रिमोट से चलने वाले
कम्प्यूटर-रोबोट।
धरती पर हैं पाँव
और हम
अंतरिक्ष में खोए
रठराए हैं
स्वस्थ बीज सब,
उपग्रह पर बोए
कहाँ समय जो ढूँढे कोई
आखिर किसमें खोट।
चुकी बैटरी,
ध्वनियाँ मद्धिम,
सी. पी. यू. गतिहीन
किसी तहलका
डॉट काम पर
भूखे हैं तल्लीन
आँखें सहमी फटी-फटी-सी
और सिले हैं होंठ।
उनके खेल,
जरूरत जितनी
उतनी विद्युत धारा
उनकी ही
मर्जी पर निर्भर
अपना जीवन सारा
बटन दबे औ हम तो छापें
पट-पट अपने वोट।
२ जनवरी २०१२ |