अनुभूति में
प्रवीण पंडित
की रचनाएँ—
अंजुमन में-
खुशबू
मीलों मीलों
शुरुआत
सौगात
गीतों में—
एक बार बोलो
कहाँ पर सोया संवेदन
काला कूट
धुआँ
मौन हुए
अनुबंध |
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सौगात
बेज़ुबां को बोलियाँ दे
जाऊँगा
गुदगुदी भर झोलियाँ दे जाऊँगा
हां, चटखती रेत सा दीखे है वो
रंग भरी कुछ होलियाँ दे जाऊँगा
उसकी आँखों से उदासी छीनकर
मदभरी ठिठोलियाँ दे जाऊँगा
मुस्कराये तन-बदन,नाचें कदम
गीतों की कुछ बोलियाँ दे जाऊँगा
जब दिखा वो मुझको अकेला दिखा
यादों की हमजोलियाँ दे जाऊँगा
१६ मई २०११ |