अनुभूति में
प्रवीण पंडित
की रचनाएँ—
अंजुमन में-
खुशबू
मीलों मीलों
शुरुआत
सौगात
गीतों में—
एक बार बोलो
कहाँ पर सोया संवेदन
काला कूट
धुआँ
मौन हुए
अनुबंध |
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खुशबू
सोच की गठरी में खुशबू का सफ़र
लेकर चला
जब चला तो साथ मे सारा शहर लेकर चला
यूँ तो सुबह-ओ-शाम से भी आशनाई है बहुत
पाँव के छालों की ख़ातिर दोपहर लेकर चला
भीड़ से रिश्तों की बाबत लोग वाक़िफ़ हैं सभी
मैं अकेले, और थके की, हर ख़बर लेकर चला
उस समंदर से किसी की प्यास बुझ सकती नहीं
सोचकर गीतों की छोटी सी नहर लेकर चला
लोग अँधियारे से दिखते हैं बहुत बेचैन अब
इसलिये उजियार की ताज़ा सहर लेकर चला
१६ मई २०११ |