प्रवीण पंडित
जन्मः १० सितंबर, को पश्चिमी
उत्तर प्रदेश के हापुड़ नगर में।
आयु के किस मोड़ पर लिखना आरंभ किया, ठीक से याद नहीं।
क्या लिखा यह महत्त्वपूर्ण नहीं लगता, लेकिन आज लेखनी जो
भी कह पाती है, शैशव के उसी महत्वहीन लेखन के कारण ही है।
निरंतर लिखते रहे- गीत, कविता, निबंध, कहानियाँ। जो देखा
या उस महसूस किया, लिख दिया। हाँ, यदि रंग-मंच सामने आ
गया, अभिव्यक्ति की शेष विधाएँ उस क्षण गौण हो गईं।
छोटे-छोटे नाटक लिखे भी और मंचित भी किए। 'कादंबिनी' में
कुछ लघु-कथाएँ अरसा पहले प्रकाशित हुईं परंतु अब केवल
लिखते हैं और रख देते हैं। यदा-कदा, चित्र-प्रदर्शनी एवं
संगीत-समारोहों में जाते हैं। सूफ़ी कलाम में डूब जाने में
इन्हें सुख मिलता है।
पितामह पंडित आनंद कुमार (प्रख्यात नाटक 'बेगम का तक़िया'
के सर्जक) और श्वसुर श्री मदन 'शलभ' (सुविख्यात कवि) के
स्नेहाशीष के कारण ही लेखनी हाथ में है और कर्म-रत है।
मुख्य कार्यालय- मुंबई (पश्चिम रेल्वे)। फिलहाल डेपुटेशन
पर दिल्ली मेट्रो में डी.जी.एम. (सिग्नल एवं टेलीकॉम) के
पद पर कार्यरत हैं। किंतु यह तो अ-परिचय कहा जाना चाहिए।
चाहते हैं कि लेखन स्वयं परिचय बने तो ठीक।
ई मेल- praveen_peek(at)yahoo.com
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अनुभूति में
प्रवीण पंडित
की रचनाएँ—
अंजुमन में-
खुशबू
मीलों मीलों
शुरुआत
सौगात
गीतों में—
एक बार बोलो
कहाँ पर सोया संवेदन
काला कूट
धुआँ
मौन हुए
अनुबंध |