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अनुभूति में पवन प्रताप सिंह पवन की रचनाएँ-

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वर्षा मंगल- नीरद डोल रहे
वर्षा मंगल- वर्षा आई

धूप सुहानी-सी

खिरकी में से
ताक रही है
धूप सुहानी-सी

ईंट का फूटा-सा माथा
भीत है खड़ी रुआँसी-सी
टपकते आँसू छप्पर के
दिए को आती खाँसी-सी
देहरी है कितनी गुमसुम
धुला है माथे का कुमकुम

हवा ठाट पर
लिखती जाती
कोई कहानी-सी।

द्वार पर खडा नीम का पेड़
हवा से बतियाता दिनभर
निबौरियाँ मारे गुस्से के
टपकती हैं कितनी कुढ कर
आहटें दर्द भरी कितनी
सुनी है बात खरी कितनी।

छोड़ चली है
हवा सुगंधित
कोई निशानी-सी।

१३ अप्रैल २०१५

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