वतन की शान हिंदी


वतन की शान हिन्दी है
हमारी जान हिंदी है

युगों से है चलन इसका
युगों की आन हिंदी है

सुकूं मिलता जिसे पढकर
वही फरमान हिंदी है

जनम से है वजू इसका
धरा की धान हिंदी है

कभी तुलसी कभी खुसरो
कभी रसखान हिंदी है

गजल में और गीतों में
सुरों की तान हिन्दी है

अलग पहचान है इसकी
गुणों की खान हिन्दी है

- पवन प्रताप सिंह पवन
८ सितंबर २०१४

 

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