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अनुभूति में ओम प्रभाकर की रचनाएँ

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इस क्षण
जैसे जैसे घर नियराया
डूब गया दिन
यह समय झरता हुआ
यहाँ से भी चलें

गीतों में-
रातें विमुख दिवस बेगाने

रे मन समझ
सरोवर है श्वसन में
हम भी दुखी तुम भी दुखी
हाथों का उठना

`

इस क्षण

इस क्षण यहाँ शान्त है जल।

पेड़ गड़े हैं,
घास जड़ी।
हवा सामने के खँडहर में
मरी पड़ी।
नहीं कहीं कोई हलचल।
इस क्षण यहाँ शान्त है जल।

याद तुम्हारी,
अपना बोध।
कहीं अतल में जा डूबे हैं
सारे शोध।

जमकर पत्थर है हर पल।
इस क्षण यहाँ शान्त है जल।

१३ जनवरी २०१४

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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