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रे मन समझ
सरोवर है श्वसन में
हम भी दुखी तुम भी दुखी
हाथों का उठना

`

हाथों का उठना

हाथों का उठना
कँपना
गिर जाना
कितने दिन चलेगा?

कितने दिन और सहेंगे
वे कब चीत्‍कार करेंगे
कब तक होंगे वे तय्यार
कब तक हुँकार भरेंगे?

क़दमों का उठते
उठते रूक जाना
कितने दिन और चलेगा?

दरवाज़ों को खुलना है
गिरना है दीवारों को
लेकिन
कितने दिन तक और
चलना है अतिचारों को?

आँखों का उठना
झुकना
मुँद जाना
कितने दिन और चलेगा?

२७ जून २०११

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