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अनुभूति में निर्मला साधना की रचनाएँ-

गीतों में-
अतीत के ताने-बाने
दोष कहाँ संयम का इसमें
पूछ रे मत कौन हूँ मैं
मत उठाओ उँगलियाँ अब
संख्यातीत क्षणों में
साँसें शिथिल हुई जाती हैं
क्षोभ नहीं पीड़ा ढोयी है

 

अतीत के ताने-बाने

देख रही
झुरमुट से छाया यहाँ मौन का हाहाकार
आखर-आखर गठरी बाँधे असमय
फूलों का मनुहार

यह यौवन
का स्वप्न-मयूरा आखेटक यह समय महाजन
फूल-फूल दंशित हो आए हुई हताश
सुरभि बनजारन

कहीं अचानक
कुछ हो जाता साँझ घिरे क्षण कब मुस्काए
यह कैसी है रीति के जिसमें खाली
हाथ लौट घर आए

समय बावरा
समझ न पाया मौसम के ये नए बहाने
बौने हाथ सहेज रहा मन अब
अतीत के ताने-बाने

२७ अगस्त २०१२

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