यह अंधेरा
यह अंधेरा
आपको भी तो डँसेगा!
सर्पिणी की आँख
जैसा है भयानक
टूटता शाहीन जैसा ही
अचानक
भेड़िए जैसी
हँसी ज़ालिम हँसेगा!
इस अंधेरे ने
कई पहने मुखौटे
जो गए हैं पास इसके
नहीं लौटे
साँप है यह
आस्तीनों में बसेगा!
इस अंधेरे से
दिया नन्हा जलेगा
रोशनी की भृगुटि में फिर
बल पड़ेगा
जब शिकंजा
मुक्ति का इस पर कसेगा
४ जनवरी २०१० |