अनुभूति में
नचिकेता
की रचनाएँ - नए
गीत-
आकाश नीला
भय का लभेरा
यह अँधेरा
सर्द मौसम
गीतों में-
उमंगों भरा शीराज़ा
खुले नहीं दरवाज़े
जेहन
मे
जो कुछ भी कहना है
तेरी हँसी
दोपहर
प्यार का रंग
बेहद अपनी
मृदु संगीत कला का
रात
शब्दों ने जो बात कही है
शाम
सपनों का नीड़
सुबह
हवा की गंध
छंद मुक्त में-
मेरा यूटोपिया
संकलन में-
वसंती हवा-फूले
फूल पलाश
हिंदी
की
सौ
सर्वश्रेष्ठ
प्रेम
कविताएँ-थके
नयन में सुबह |
` |
बेहद अपनी
जब से
देखा तुमको
भूल
नहीं पाया हूँ
जबसे देखा
मुझे लगी बेहद अपनी-सी
आंखों को पहचान दिलाती
भौं, पिपनी सी
एकाकीपन
में भी
खुलकर
मुसकाया हूँ
तुम्हें देखकर
ही
रंगों का अर्थ मिला है
मन के भीतर वनतुलसी का
बाग खिला है
खुशबू की
उठती तरंग-सा
लहराया हूँ
तुम्हें देखकर
दुनिया का मतलब जाना है
स्वाद, गंध, ध्वनि, रूप, छुअन को
पहचाना है
तृप्त हुआ
जीकर जीवन का
सरमाया हूँ1 जून 2007 |