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24
isatMबर 2006
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थके नयन में
सुबह
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अब भी आँखों से
बतियाना अच्छा लगता है
हाथों में ले हाथ दबाना
अच्छा लगता है
अच्छा लगता है
कनखी से नज़रों का मिलना
नीले अधरों पर अड़हुल के
फूलों का खिलना
तेरा बल खाना
शर्माना अच्छा लगता है
सांसों का कुछ-कुछ गर्माना
अच्छा लगता है
अच्छा लगता है
दांतों से तिनके को टुंगना
तन से तन के छू जाने पर
सिहरन का उगना
समय पूछ कर
घड़ी मिलाना अच्छा लगता है
चुटकी, चुहल, चिकोटी,
ताना अच्छा लगता है
अच्छा लगता
बूझ पहेली जीवन की लेना
टूट रहे तन का दुख
अंगड़ाई से ढंक देना
थके नयन में
सुबह सजाना, अच्छा लगता है
स्मृतियों पर रंग चढ़ाना
अच्छा लगता है
--नचिकेता
1 जून 2007
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