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अनुभूति में डॉ. जयजयराम आनंद की रचनाएँ-

नए दोहों में-
सन्नाटे में गाँव

दोहों में-
ताल ताल तट पर जमे
प्रदूषण और वैश्विक ताप

गीतों में-
अम्मा बापू का ऋण
आम नीम की छाँव
आँखों में तिरता है गाँव
केवल कोरे कागज़ रंगना
बहुत दिनों से
भूल गए हम गाँव
मेरे गीत
शहर में अम्मा

सुख दुख इस जीवन में
 

 

मेरे गीत

मेरे गीत नहा गंगा में
अपना धर्म निबाहते हैं

बिरजू धनिया खेतों में जा
खून बहाते जब अपना
रूखी सूखी गले उतारें
देखें सपनों पर सपना
मेरे गीत लोरियाँ गा गा
माँ का फर्ज़ निभाते हैं

अमराई में गंध बौर की
बिखरा दे जब तरुणाई
डाल डाल पर कोयल कूके
पल पल में गूँजे शहनाई
मेरे गीत झूम कर गाते
सबकी तर्ज़ सुनाते हैं

कोरी आँखों रात बिता कर
कोरे कागज़ रंग डाले
पोर पोर में पीर समाई
पड़े उँगलियों में छाले
मेरे गीत जहाँ भी जाते
सबका दर्द बटाते हैं

--११ जनवरी २०१०

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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