डॉ. अजय पाठक
जन्म- १४ जनवरी १९६०,
बलिया (उ.प्र.)
शिक्षा-
विज्ञान, पत्रकारिता एवं जनसंचार विषयों में
स्नातक। प्राणी शास्त्र, भारतीय मध्यकालीन इतिहास, हिंदी साहित्य,
समाज शास्त्र, प्राचीन भारतीय इतिहास एवं पुरातत्व विषयों में
स्नातकोत्तर। मुग़ल कालीन भारत की शिक्षा
प्रणाली, साहित्य एवं ललित कलाओं पर पीएच.डी.।
प्रकाशित कृतियाँ-
''यादों के सावन'', ''महुए की डाली पर
उतरा बसंत'', ''किसलय के स्वर'' (सभी गीत संग्रह), आंचलिक
उपन्यास ''द शमत'' एवं एक व्यंग्य संग्रह प्रकाशनाधीन।
संपादन-
प्रतिनिधि कवियों के काव्य संग्रह ''मंजरी'' के
साथ ही तुलसी मानस प्रतिष्ठान की पत्रिका ''मानस हिंदी धारा'' का
संपादन दायित्व।
संप्रति- महासचिव, छत्तीसगढ राष्ट्रभाषा प्रचार समिति,
उप-नियंत्रक, नापतौल, छत्तीसगढ रायपुर (छ.ग.)
संपर्क
kavi_ajaypathak@yahoo.co.in
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अनुभूति में डॉ. अजय पाठक की
रचनाएँ- नए गीत-
उज्जयिनी में
कहो सुदामा
फागुन के दिन
जीने का अभ्यास
सौ-सौ चीते
गीतों में
अनुबंध
आदमखोर हवाएँ
कबिरा तेरी चादरिया
कुछ तेरे, कुछ
मेरे
गाँव
चारों धाम नहीं
चिरैया धीरे धीरे बोल
जीना हुआ कठिन
जोगी
दर्द अघोरी
पुरुषार्थ
बादल का पानी
भोर तक
मौन हो गए
यामिनी गाती है
सफलता खोज
लूँगा
समर्पित शब्द की रोली
हम हैं बहता पानी बाबा
संकलन में
नव
सुमंगल गीत गाएँ
महुए की डाली पर उतरा वसंत
बादल
का पानी
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