अनुभूति में
अज्ञेय
की रचनाएँ-
गीतों में-
उड़ चल हारिल
प्राण तुम्हारी पदरज फूली
छंदमुक्त में-
चाँदनी जी लो
ब्रह्म मुहूर्त : स्वस्ति वाचन
वन झरने की धार
सर्जना के क्षण
सारस अकेले
हँसती रहने देना
संकलन में-
वसंती हवा-
वसंत आ गया
ऋतुराज आ गया
वर्षा मंगल-
ये मेघ
साहसिक सैलानी
ज्योति पर्व-
यह दीप
अकेला
गांव में अलाव -
शरद
क्षणिकाओं में-
धूप, नंदा देवी, सांप, रात में गांव,
सोन मछली, कांपती है,
जाड़ों में
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सर्जना के क्षण
एक क्षण भर और
रहने दो मुझे अभिभूत
फिर जहाँ मैंने सँजो कर और भी सब रखी हैं
ज्योति: शिखाएँ
वहीं तुम भी चली जाना
शांत तेजोरूप।
एक क्षण भर और :
लम्बे सर्जना के क्षण कभी भी हो नहीं सकते।
बूँद स्वाती की भले हो
बेधती है मर्म सीपी का उसी निर्मम त्वरा से
वज्र जिससे फोड़ता चट्टान को
भले ही फिर व्यथा के तम में
बरस पर बरस बीते
एक मुक्ता-रूप को पकते।
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