अनुभूति में
अज्ञेय
की रचनाएँ-
कविताओं में-
उड़ चल हारिल
चांदनी जी लो
ब्रह्म मुहूर्त : स्वस्ति वाचन
वन झरने की धार
सर्जना के क्षण
सारस अकेले
हँसती रहने देना
संकलन में-
वसंती हवा-
वसंत आ गया
ऋतुराज आ गया
वर्षा मंगल-
ये मेघ
साहसिक सैलानी
ज्योति पर्व-
यह दीप
अकेला
गांव में अलाव -
शरद
क्षणिकाओं में-
धूप, नंदा देवी, सांप, रात में गांव,
सोन मछली, कांपती है,
जाड़ों में
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चाँदनी जी लो
शरद चाँदनी
बरसी
अंजुरी भर कर पी लो
ऊँघ रहे हैं तारे
सिहरी सिरसी
ओ प्रिय कुमुद ताकते
अनझिप
क्षण में
तुम भी जी लो!
सींच रही है ओस
हमारे गाने
घने कुहासे में
झिपते
चेहरे पहचाने
खम्भों पर बत्तियाँ
खड़ी हैं सीठी
ठिठक गये हैं मानो
पल-छिन
आने-जाने
उठी ललक
हिय उमगा
अनकही
अलसानी
जगी लालसा
मीठी,
खड़े रहो ढिंग
गहो हाथ
पाहुन मम भाने,
ओ प्रिय रहो साथ
भर भर कर अंजुरी
पी लो
बरसी
शरद चाँदनी
मेरा
अंत:स्पन्दन
तुम भी क्षण क्षण जी लो!
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