अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

ज्योति पर्व
संकलन

 

यह दीप अकेला

यह दीप अकेला स्नेह भरा
है गर्व भरा मदमाता, पर
इसको भी पंक्ति को दे दो।
यह जन है : गाता गीत जिन्हें फिर और कौन गाएगा
पनडुब्बा : ये मोती सच्चे फिर कौन कृति लाएगा?
यह समिधा : ऐसी आग हठीला बिरला सुलगाएगा।
यह अद्वितीय : यह मेरा : यह मैं स्वयं विसर्जित :
यह दीप, अकेला, स्नेह भरा,
है गर्व भरा मदमाता, पर
इस को भी पंक्ति दे दो।

यह मधु है : स्वयं काल की मौना का युग-संचय,
यह गोरस : जीवन-कामधेनु का अमृत-पूत पय,
यह अंकुर : फोड़ धरा को रवि को तकता निर्भय,
यह प्रकृत, स्वयंभू, ब्रह्म, अयुत:
इस को भी शक्ति को दे दो।
यह दीप, अकेला, स्नेह भरा,
है गर्व भरा मदमाता, पर
इस को भी पंक्ति को दे दो।

यह वह विश्वास, नहीं जो अपनी लघुता में भी काँपा,
वह पीड़ा, जिस की गहराई को स्वयं उसी ने नापा,
कुत्सा, अपमान, अवज्ञा के धुँधुआते कड़वे तम में
यह सदा-द्रवित, चिर-जागरूक, अनुरक्त-नेत्र,
उल्लंब-बाहु, यह चिर-अखंड अपनापा।
जिज्ञासु, प्रबुद्ध, सदा श्रद्धामय
इस को भक्ति को दे दो।

यह दीप, अकेला, स्नेह भरा
है गर्व भरा मदमाता, पर
इस को भी पंक्ति को दे दो।

- अज्ञेय

  

दीप हूँ जलता रहूँगा

दीप हूँ जलता रहूँगा
भू में प्रभा भरता रहूँगा
सूर्य का मैं वंशधर हूँ
चंद्र का में अंशधर हूं
नक्षत्र मेरे बंधुगण हैं
हैं अनल विस्तार मेरा
बाडवानल और दावादाह
तक है सदा मेरा बसेरा
सूर्य-सा उगता रहूँगा
लहर-सा बहता रहूँगा
दीप हूँ जलता रहूँगा

मार्ग में जो भित्ति बन
मेरी प्रभा को रोकता है
और अपनी कालिमा से
प्राण मेरे सोखता है
आज उसमें भी भरूँगा
ज्योति का नव प्राण रे
नव चेतना नव शक्ति का
दूँगा उन्हें वरदान रे
त्याग में पलता रहूँगा
विश्व में नवता भरूँगा
दीप हूँ जलता रहूँगा

मैं विश्व की संपत्ति हूँ, है
विश्व का अधिकार मुझ पर
चंद महलों मंदिरों में
मर रहा हूँ झुलस कर
आज बढ़ना है मुझे
प्रासाद से हर पर्णशाला तक
आज मेरा क्षेत्र होगा
कंदरा से शैलभामा तक
रौशनी के हर लुटेरे के
मैं कर कमल करता रहूँगा
दीप हूँ जलता रहूँगा

- डॉ. रवींद्र कुमार जैन

 


स्रोत :तमिलनाडु की हिन्दी कविता-
इतिहास शोध संस्थान 33/1 भूल भुलैय्या रोड, महरौली, नई दिल्ली 110030
 

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter