अनुभूति में
अज्ञेय
की रचनाएँ-
गीतों में-
उड़ चल हारिल
प्राण तुम्हारी पदरज फूली
छंदमुक्त में-
चाँदनी जी लो
ब्रह्म मुहूर्त : स्वस्ति वाचन
वन झरने की धार
सर्जना के क्षण
सारस अकेले
हँसती रहने देना
संकलन में-
वसंती हवा-
वसंत आ गया
ऋतुराज आ गया
वर्षा मंगल-
ये मेघ
साहसिक सैलानी
ज्योति पर्व-
यह दीप
अकेला
गांव में अलाव -
शरद
क्षणिकाओं में-
धूप, नंदा देवी, सांप, रात में गांव,
सोन मछली, कांपती है,
जाड़ों में
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हँसती रहने देना
जब आवे दिन
तब देह बुझे या टूटे, इन
आँखों को
हँसती रहने देना।
हाथों ने बहुत अनर्थ किये
पग ठौर-कुठौर चले,
मन के
आगे भी खोटे लक्ष्य रहे
वाणी ने (जाने अनजाने) सौ झूठ कहे
पर आँखों ने
हार
दु:ख
अवसान
मृत्यु का
अंधकार भी देखा तो
सच-सच देखा।
इस पार
उन्हें जब आवे दिन -
ले जावे
पर उस पार
उन्हें
फिर भी आलोक कथा
सच्ची कहने देना :
अपलक
हँसती रहने देना
जब आवे दिन |