अनुभूति में
डॉ.
सुधा ओम ढींगरा की रचनाएँ-
नई रचनाओं में-
चाँदनी से नहाने लगी
प्रकृति से सीख
पूर्णता
बेबसी
मोम की गुड़िया
छंदमुक्त में-
कभी
कभी
तुम्हें क्या याद आया
तेरा मेरा साथ
बदलाव
भ्रम
यह वादा करो
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प्रकृति से
सीख
अमेरिका की पतझड़
कितनी सुहानी है,
गिरते पत्तों की भी
एक कहानी है।
हर पत्ता,
राजनीति की तरह,
कई रंग बदलता है.
रंग-बिरंगे सूखे पत्ते
गिरते-गिरते
धरती भर जाते हैं,
नेता जाते-जाते
देश को खाली कर जाते हैं।
दूर-दूर तक लोग ड्राईव कर
पत्तों के रंगों को देखने हैं जाते।
पतझड़ की उदासी छोड़
ढेर-सी खुशियाँ साथ हैं लाते।
काश! मानव प्रकृति से
कुछ सीख पाता
अपनी ज़िन्दगी के थोड़े से रंग
दूसरों की ज़िन्दगी में भर पाता।
३० नवंबर २००९ |