कितना है दम
चिराग में कितना है दम
चराग़ में, तब ही पता चले
फानूस की न आस हो, उस पर हवा चले
लेता हैं इम्तिहान अगर, सब्र
दे मुझे
कब तक किसी के साथ, कोई रहनुमा चले
नफ़रत की आँधियाँ कभी, बदले
की आग है
अब कौन लेके झंडा-ए-अमनो-वफ़ा चले
चलना अगर गुनाह है, अपने उसूल
पर
सारी उमर सज़ाओं का ही सिलसिला चले
खंजर लिए खड़ें हों अगर मीत
हाथ में
'श्रद्धा' बताओ तुम वहाँ फ़िर क्या दुआ चले
१ जून २००९
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