गम बढ़ा दीजिए
आप भी अब मेरे गम बढ़ा दीजिए
मुझको लंबी उमर की दुआ दीजिए
मैने पहने है कपड़े, धुले आज
फिर
तोहमते अब नई कुछ लगा दीजिए
रोशनी के लिए, इन अंधेरों में
अब
कुछ नही तो मिरा दिल जला दीजिए
चाप कदमों की अपनी मैं पहचान
लूँ
आईने से यों मुझको मिला दीजिए
गर मुहब्बत ज़माने में है इक
खता
आप मुझको भी कोई सज़ा दीजिए
चाँद मेरे दुखों को न समझे
कभी
चाँदनी आज उसकी बुझा दीजिए
हँसते हँसते जो इक पल में
गुमसुम हुई
राज़ 'श्रद्धा' नमी का बता दीजिए
१ जून २००९ |