अनुभूति में
रचना श्रीवास्तव की रचनाएँ-
हाइकु में-
नए हाइकु
क्षणिकाओं में-
सात क्षणिकाएँ
नई रचनाएँ-
अभिलाषा
इस ठंड में
तीन क्षणिकाएँ
तुम लौट आना
प्यार में डूबे शब्द
बेटियाँ
छंद मुक्त में-
आओ अब लौट चलें
उजाले की किरण
तमसो मा
बेटी होने की खुशी
रोज़ एक कहानी
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नए हाइकु
अँधेरी रात
संसद गलियारा
सच की मात
धूल फांकते
दफन किताबों में
गाँधी आदर्श
सूखी बारिश
बादल को निचोड़े
चिटके खेत
डॉलर छीने
बेसहारा की लाठी
सूना आँगन
उछला पानी
तट को निहारते
डूबते लोग
बेटी का जन्म
जीवन किया अन्त
बिलखती माँ
जाति व धर्म
हवा में लगी गाँठ
घुटते लोग
आँखों में धूल
नफरत की आँधी
बिखेरे शूल
शहीद हुआ
तो बचा सूना घर
सूनी ही माँग
२७ सितंबर २०१०
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