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उजाले की किरण
उसकी माँ ने
बसता और
टिफिन
पकड़ाया
मेरी
माँ ने
झाडू
कटका
उसे
स्कूल बस मे चढ़ाया
माँ ने
मुझे
मालकिन
का घर दिखलाया
जानती
है वो
न गई तो
पैसे कटेंगे
और हम
भूखे
रहेंगे
काश!
मै
उजाले की
कोई
किरण पकड़ पाती
तो मै
भी
स्कूल
बस मे
चढ़
पाती
५ मई २००८
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