अनुभूति में
रचना श्रीवास्तव की रचनाएँ-
क्षणिकाओं में-
सात क्षणिकाएँ
नई रचनाएँ-
अभिलाषा
इस ठंड में
तीन क्षणिकाएँ
तुम लौट आना
प्यार में डूबे शब्द
बेटियाँ
छंद मुक्त में-
आओ अब लौट चलें
उजाले की किरण
तमसो मा
बेटी होने की खुशी
रोज़ एक कहानी
|
|
बेटी होने की खुशी
बेटी होने की खुशी
अब
सिर्फ़
वेश्याएँ मनाएँगी
समाज के
ठेकेदारों के घर
बेटियाँ
कोख मे
दफ़न कर
दी जाएँगी
काश!
गर्भ का
अंधकार छोड़
वो
दुनिया का उजाला देख पाती
५ मई २००८
|