अनुभूति में
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बेटियाँ
छंद मुक्त में-
आओ अब लौट चलें
उजाले की किरण
तमसो मा
बेटी होने की खुशी
रोज़ एक कहानी
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तमसो मा
गिरा पुल
हज़ारों
लोग मरे
रिश्वत
ले नेता
पत्रकारों को बता रहा था
आतंकवादियों की
साज़िश
का अंदेशा जाता रहा था
दीवार
पे लिखे
तमसो
मा ज्योतिर्गमय के शब्द
इधर उधर
हो रहे थे
फिर
देखा तो लिखा था
ज्योत्योः मा तमोर्गमय
५ मई २००८
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