अनुभूति में
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तुम लौट आना
प्यार में डूबे शब्द
बेटियाँ
छंद मुक्त में-
आओ अब लौट चलें
उजाले की किरण
तमसो मा
बेटी होने की खुशी
रोज़ एक कहानी
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प्यार में
डूबे शब्द जब
सूरज
कोहरे की चादर ओढ़ सोया हो
शहर पूरा
मध्यम रौशनी में नहाया हो
थाम मेरा हाथ तुम
नर्म ओस पे
हौले सी चलना
जीवन जब थमने लगे
मायूसी दमन फैलाने लगे
तुम पास बैठ
प्यार में डूबे शब्द फैलाना
नर्म ठंडी बूँदें जो बर्फ़ बने
रूई-सी सफ़ेदी
जब हर शय को ढके
उनमें बनते क़दमों के निशान
संग मेरे तुम
दूर तक जाना
चाय की गर्म प्याली संग
पुराना एलबम देखना
पलटना एक एक पेज
कुछ यों
के यादों के परदे पे
एक तरंग-सी उठ जाए
उस तरंग में
तुम मेरे साथ डूबना
२६ जनवरी
२००९ |