अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में जैनन प्रसाद की रचनाएँ— 

छंदमुक्त में—
एक नारी
कैसे भुलाऊँ तुम्हें
खड़ाऊँ
गुरु दक्षिणा
चीर हरण
मछली
मेरा मन
रावण या राम

हास्य व्यंग्य में—
उठो जी
एक नेता
झूठ
बैठ जाओ

 

चीरहरण

हँस रहे हैं आज
कई दुशासन।
द्रोपदी को निवस्त्र देख।
और झुके हुए हैं
गर्दन वीरों के।
सोच रहें है!
इस आधुनिक जुग में
कैसे वार करें
तीरों के।
चीखती हुई उस
अबला की पुकार का दर्द
सभी को खल रहा है।
आज कृष्ण की जगह
लोगों में
दुर्योधन पल रहा है।

१ फरवरी २००६

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter