अनुभूति में प्रेम शंकर रघुवंशी की रचनाएँ-
नई कविताएँ प्रार्थना होता जीवन भूख और सूरज ममत्व से दूर लौटती जनता स्त्री हमारा चाहने वाला हां ना के बीच
गीतों में- गूंजे कूक प्यार की नागार्जुन के महाप्रयाण पर पाकशाला का गीत सपनों में सतपुड़ा सिसक रही झुरमुट में तितली
कविताओं में- इन दिनों गर्भगृह तक गांव आने पर निश्चय ही वहां महक मां की याद मिल बांटकर सतपुड़ा और उसकी बेटी नर्मदा हथेलियां
लौटती जनता
वे, सड़क, पानी बिजली को मुद्दा बनाते और वे, मंदिर-मस्जिद को
और दोनों की सभाएँ सुनकर लौटती जनता पहले से ज़्यादा गंजापन लिए सिर पर हथेलियाँ फेरती- घर लौट आती है।
16 मई 2007
इस रचना पर अपने विचार लिखें दूसरों के विचार पढ़ें
अंजुमन। उपहार। काव्य चर्चा। काव्य संगम। किशोर कोना। गौरव ग्राम। गौरवग्रंथ। दोहे। रचनाएँ भेजें नई हवा। पाठकनामा। पुराने अंक। संकलन। हाइकु। हास्य व्यंग्य। क्षणिकाएँ। दिशांतर। समस्यापूर्ति
© सर्वाधिकार सुरक्षित अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है