नहाती हुई लड़की
लड़की नहाती है
तो उसके पोर-पोर में समा जाते हैं
असंख्य जल बिंदु
तब वह स्वत: ही मुक्त हो जाती है
गुरुत्वाकर्षण से
और चल देती है
हज़ारों प्रकाश वर्ष की अनंत यात्रा पर
लड़की नहाती है
तो वातावरण गुंजायमान हो उठता है
एक ऐसे आदि गीत से
जिसमें शब्द अक्षरों से नहीं
प्रकट होते हैं चित्र बनकर
तब उभर आती है
एक काठ की बनी नौका
जिसमें बैठकर
वह तिरती चली जाती है
आकाश की अथाह गहराइयों में
लड़की नहाती है
तो उसकी देह से निकलकर
एक रहस्यमय गमक
व्याप्त हो जाती है
समस्त सृष्टि में
तब तक वह समय की
स्थापित परिभाषाओं के
पार निकल जाती है
लड़की नहाती है
तो यह प्रक्रिया चलती है-
अनवरत
घंटों, दिनों, महीनों, बरसों, युगों
नहाकर संदेह वापस लौटते
आज तक
किसी ने किसी लड़की को
युगों-युगों से नहीं देखा।
१ जून २००६
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