एहतियात
गर्भ से निकल कर
नर्स की नरम हथेलियों पर
वह अवतरित हुआ
और धरती को छू पाए
इससे पूर्व ही
उसे डाल दिया गया
पालने में झूलने के लिए
पालने से निकल कर
धरती पर चलने के लिए
जब वह मचला
तब उसके पैरों में
पहना दिए गए
मुलायम मोजे
और फिर आरामदायक जूते
धरती पाँवों को न छू ले
यह एहतियात ज़रूरी है
नहीं तो टूट जाएगा
सारा तिलस्म
पाँवों ने यदि पा लिया
धरती के स्पर्श का मर्म
तब वह स्वत: ही कर लेगा
बीमारी, बुढ़ापे और मृत्यु से साक्षात्कार
तब कौन रोक पाएगा
सिद्धार्थ से बोधिसत्व होने की
ऐतिहासिक पुनरावृत्ति।
१ जून २००६
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