अनुभूति में
डॉ. कुमार
हेमंत
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उनकी दुनिया
मैं बनाना चाहता हूँ
एक बहुत बड़ी दुनिया
जिसका विस्तार हो
लाखों करोड़ों और अनन्त असीमित
आकाश के बराबर।
जहां हर बच्चे के हाथ में हों
रंग बिरंगे गुब्बारे
रूई और ऊन से बने
सुंदर खिलौने
हर बच्चे के कन्धों पर हो
एक बैग प्यारा सा
बैग में हों ढेरों
नई नई कहानियाँ
खूबसूरत दुनिया के हसीन गीत
हर बच्चे को मिल सके
पेट भर खाना।
जहाँ हर बच्चा
मुक्त रहे दुनिया के दुर्दान्त
बमों के धमाकों और संगीनों
भयावह सायों से
न पड़े उनके ऊपर
कोई मनहूस साया
खद्दरधारियों की लिजलिजी
और सड़ान्धयुक्त राजनीति का
और न सेंक सके
कोई भी बड़ा अपनी अपनी
रोटियाँ किसी मासूम की
असमय हुयी मौत पर।
जहां हर बच्चा खेल सके
सुन्दर हरे भरे मैदान में
फूलों की रंग बिरंगी क्यारी के बीच
और हर बच्चे की आँखों में
तैर रहे हों
कुछ खूबसूरत
तितली के पंखों से कोमल सपने
जिनके सहारे वो बिता सके
अपना अनमोल जीवन
और महसूस कर सके
इस दुनिया में अपने वजूद को।
तो बताइये क्या आपने भी
कोई ऐसी दुनिया बसाने
का ख्वाब अपने मन में संजोया है?
३ अगस्त २०१५
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