अनुभूति में
विमलेश चतुर्वेदी विमल
की रचनाएँ-
नई रचनाओं में-
आपसे क्या मिली नजर
जिंदगानी पराई हुई
बात चलती रही
शब, शम्मा, परवाना
अंजुमन में-
अपना वह गाँव
आजमाइश ज़िंदगी से
कोई सोए कोई जागे
घुट घुटकर
जाम खाली |
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जिंदगानी पराई हुई
जिन्दगानी पराई हुई।
दर्द से आशनाई हुई।
ख्वाब आते बिखरते रहे,
रात भर रोशनाई हुई।
है मिला ये सिला-ए-वफा,
साथ बस बेवफाई हुई।
प्यार में ठोकरें यू मिलीं,
उम्र भर जगहँसाई हुई।
कर न पाई दुआ भी असर,
थी दवा आजमाई हुई।
बाँस की पालकी चढ़ 'विमल`,
चार काँधे विदाई हुई।
२५ अक्तूबर २०१० |