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अनुभूति में विमलेश चतुर्वेदी विमल की रचनाएँ-

नई रचनाओं में-
आपसे क्या मिली नजर
जिंदगानी पराई हुई
बात चलती रही
शब, शम्मा, परवाना

अंजुमन में-
अपना वह गाँव
आजमाइश ज़िंदगी से
कोई सोए कोई जागे
घुट घुटकर
जाम खाली

 

शब शम्मा परवाना

शब, शम्मा, परवाना लिखना।
मय, मयकशा, मयखाना लिखना।

मौजे-बहाराँ, आँधी-तूफाँ ,
बू-ए-गुल बिखराना लिखना।

छेड़ छाड़ करना भौंरों का,
कलियों का इतराना लिखना।

दाना, जाल, शिकारी, पिंजड़ा,
पक्षी का फँस जाना लिखना।

जेरो-जबर, जहालत, जिल्लत,
जालिम, जुल्म, जमाना लिखना।

दर्दे-दुनिया दौलत दहशत,
बच्चों का मुस्काना लिखना।

हो न फना जो दिल से विमल के,
ऐसा एक तराना लिखना।

२५ अक्तूबर २०१०

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