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आपसे क्या मिली नजर
जिंदगानी पराई हुई
बात चलती रही
शब, शम्मा, परवाना

अंजुमन में-
अपना वह गाँव
आजमाइश ज़िंदगी से
कोई सोए कोई जागे
घुट घुटकर
जाम खाली

 

घुट घुटकर

घुट घुट कर यूँ जीना,बस।
गम के आँसू पीना, बस।

माझी ने संग छोड़ दिया,
लहरों बीच सफीना, बस।

देकर सपने नैनों में,
चैन किसी ने छीना, बस।

दिल को स्नेहिल धागों से,
हौले हौले सीना, बस।

काग समय का चुग लेगा।
हर इक श्वाँस नगीना, बस।

मन के गहरे सागर में-
याद 'विमल` है मीना, बस।

१२ जुलाई २०१०

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