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अनुभूति में उषा यादव 'उषा' की रचनाएँ—

छंदमुक्त में-
उदास है श्रम चाँद
देखना एक दिन ''फिर''
प्रेम नीड़
सुनो

अंजुमन में--
कोई भी शै नहीं
दरमियाँ धूप-सी
पुरखतर राह है
बन्द है
हर तरफ दिखते हैं

  सुनो

सुनो!!
शाम के पियराये चेहरे पर उदासी का ढेर
मीठी यादों की भावुक कराह
वर्तमान की आतुर छटपटाहट
इतिहास के चेहरे पर मरूस्थल की तपती धूल
भविष्य अनिश्चतता के दहशत में
सत्ता और शक्ति का रहस्यात्मक मौन
स्वार्थ का वितान आसमान के पार
सुदूर खण्डहर में इन्सानियत करता विलाप
बदहवास है फिरता नींदों का देवता
ढहता हुआ अनवरत आत्मीय शाश्वत मूल्य
तहज़ीबों के बहते हुये घाव
बाज़ार के चक्रव्यूह में फँसा है प्रेम
किलकारी के लिये तरसता कन्या भ्रूण
कितने ही घर हो रहे हैं बेघर
कितने ही लोग हैं घर से बेघर
निर्लज्ज समय शान से बढ़ रहा है
ज़र्द उम्मीदों के जंगल में ख़ामोशियों का डेरा
सुनो!!
आजकल
प्रार्थनाओं का संरक्षक भी बहुत उदास है

 १० मार्च २०१४

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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