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अनुभूति में उषा यादव 'उषा' की रचनाएँ—

छंदमुक्त में-
उदास है श्रम चाँद
देखना एक दिन ''फिर''
प्रेम नीड़

सुनो

अंजुमन में--
कोई भी शै नहीं
दरमियाँ धूप-सी
पुरखतर राह है
बन्द है
हर तरफ दिखते हैं

 

हर तरफ दिखते हैं

हर तरफ़ दिखते हैं शब के साये मुझे।
कोई जुगनू ही दे अब उजाले मुझे।

ज़िन्दगी काश !मुड़कर पुकारे मुझे।
पलकों पर फूल सा अब सजा ले मुझे।

बेतरह ठोस सन्नाटा घर में है फिर,
कोई आहट ही आये सँभाले मुझे।

उम्र वीरानियों में है गुज़री मगर,
ख़्वाब आये हैं अक्सर सुहाने मुझे।

क़त्लगाहों से रोने की आती सदा
कोई आये तसल्ली दिलाये मुझे।

३ जून २०१३

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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