अनुभूति में
उषा यादव 'उषा'
की रचनाएँ—
छंदमुक्त में-
उदास है श्रम चाँद
देखना एक दिन ''फिर''
प्रेम नीड़
सुनो
अंजुमन में--
कोई भी शै नहीं
दरमियाँ धूप-सी
पुरखतर राह है
बन्द है
हर तरफ दिखते हैं
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दरमियाँ धूप-सी
दरमियाँ धूप सी तन गईं दूरियाँ।
धीरे-धीरे सुलगती हैं ख़ामोशियाँ।
फिर किताबों में कटे पर मिलीं तितलियाँ
इश्क़ में किसलिये आती हैं आँधियाँ।
एक जुगनू सफ़र में मेरे साथ था
रात भर थाम चलता रहा उँगलियाँ
सादगी से चुरा ले गया ऐतबार,
सामने रहनुमा के जलीं बस्तियाँ।
शहर जब मुश्किलों में रहा है मेरा,
सब्र से काम लीं हैं समझदारियाँ।
३ जून २०१३
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