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अनुभूति में उषा यादव 'उषा' की रचनाएँ—

छंदमुक्त में-
उदास है श्रम चाँद
देखना एक दिन ''फिर''
प्रेम नीड़

सुनो

अंजुमन में--
कोई भी शै नहीं
दरमियाँ धूप-सी
पुरखतर राह है
बन्द है
हर तरफ दिखते हैं

  प्रेम-नीड़

मौन झरते अश्रु-पुष्प
चुपचुप से हैं शब्द-शब्द
बिखरे हैं टूटे स्नेह-स्वप्न
हृदय के आकाश पर
सुबक रहा है आस-परिन्दा
प्रतीक्षारत राह पर
चेतना की दहलीज़ पर
विश्व-काव्य है पुकारता
वक़्त से लिपट कर
इन्सानियत रोती ज़ार-ज़ार
अँधियारे देश में
रौशनी सॅंघर्षरत
फ़लक बोस इमारतों से
ढक गया है प्रेम-नीड़
बाज़ार की आगो़श में
उदास है प्रेम-फूल

 १० मार्च २०१४

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