अनुभूति में
उषा यादव 'उषा'
की रचनाएँ—
छंदमुक्त में-
उदास है श्रम चाँद
देखना एक दिन ''फिर''
प्रेम नीड़
सुनो
अंजुमन में--
कोई भी शै नहीं
दरमियाँ धूप-सी
पुरखतर राह है
बन्द है
हर तरफ दिखते हैं
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कोई भी शै नहीं
कोई भी शै नहीं बढ़के इन्सान से।
हमने सीखा है ये वेद कुरआन से।
आबिदे इश्क़-ए-नूरे ख़ुदा पा गए,
अहले दैरो हरम देखें हैरान से।
किस क़दर शोखि़याँ उसकी फ़ितरत में हैं,
झूठा वादा किया वो भी एहसान से।
आशिक़ी भूलकर शाइरे हुस्न भी,
आज लिखते हैं दहशत के उनवान से।
ज़िन्दगी की हक़ीक़त को समझो ‘उषा’
आओ बाहर तसव्वुर के ऐवान से।
३ जून २०१३
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