अनुभूति में
राम
शिरोमणि पाठक
की रचनाएँ-
नयी रचनाओं में-
इक ऐसा भी घर बनवाना
इस कदर दोस्तों
ऐसे भी हक अदा करो
गर मैं तेरा हिस्सा हूँ
मैं अपने ही साथ रहूँगा
लाचार हो क्या
अंजुमन में-
अपना फर्ज
ऐसा मंजर देखा
कभी सस्ता कभी महँगा
फिर से वही कहानी
सच
क्षणिकाओं में-
रामशिरोमणि पाठक की क्षणिकाएँ
संकलन में-
पिता की तस्वीर-
बाबा कहते थे
ममतामयी-
माँ की ममता
मेरा भारत- सपूत देश के
रक्षाबंधन-
नेह भरा उपहार
शुभ दीपावली-
उजियारे की धूम है
सूरज-
मेरे घर भी आए दिनकर
नैनों में नंदलाल-
झूला झूले राधिका |
|
इक ऐसा भी घर
इक ऐसा भी घर बनवाना
जिसमें रह ले एक ज़माना
खुद से खुद की बातें करना
जब खुद के ही हिस्से आना
सभी किरायेदार यहाँ हैं
लगा रहेगा आना जाना
फितरत से हो जाना वाकिफ
फिर तुम अपना नाम बताना
भूल गया हो गर वो मुझको
उसको मेरी याद दिलाना
खुद से ही भागेगा कब तक
खुद से चलता नहीं बहाना
१ फरवरी २०१७
|