मेरे घर भी आए दिनकर
नभ का हाथ गुलाल हो गया
मुख प्राची का लाल हो गया
रवि आते हैं तम जाता है
लुका छिपी का खेल हो गया
बदली के पीछे से देखो
ताँक झाँक करते रह रहकर
मादक सी अँगड़ाई लेती
कलियों की मुस्कान देख लो
कोयल गाती है किस धुन में
उसका प्यारा गान देख लो
ताली बजा रहें है पत्ते
झूम झूमकर नाचे तरुवर
इन्द्र धनुष के सात रंग से
आये सूर्य करके शृंगार
ह्रदय प्रफुल्लित हुआ देखकर
खिला खिला सा यह संसार
नभ का लो सम्राट आ गया
उजले घोड़ों पे सज धजकर
- राम शिरोमणि पाठक
१२ जनवरी २०१५ |