१- एहसान
एक एहसान कर दो
जाते जाते
समेट कर ले जाओ अपनी यादें
आज जी भर कर सोना है मुझे |
रामशिरोमणि पाठक
की क्षणिकाएँ
|
२ -महान
सम्मान बेचकर भी
ह्रदय
अब तक स्पंदित है
आप महान हैं |
|
३-
तकिया
अब बहुत अच्छी
नींद आती है मुझे
पता है क्यों?
दर्द को ही
तकिया बना लिया मैंने |
|
४ -सुकून
सुनो
आज के बाद तंग नहीं करूँगा
चला जाऊँगा
बस एक बार क्षण-भर
आओ बैठो मेरे पास
तुम्हारे आने से जिंदा हो उठता हूँ
|
|
५ -अकेला
दुख के सन्नाटे से
लड़ रहा हूँ
तभी तो
आज फिर अकेला हूँ |
|
६- मंत्री भूखानंदजी
करोड़ों का माल गटक गए
सुना है आज फिर
भूख हड़ताल पे बैठे है |
|
७- पता है
पता है न
दर्पण सच बताता है
जब असत्य का दर्पण टूटेगा
खुद का विकृत चेहरा
क्या? देख पाओगे |
|
८ - माँ
माँ कहती थी
मरने-के-बाद-लोग-तारे-बन-जाते-है
रात भर जागता हूँ,
उदास तारों के बीच, खोजता हूँ
एक हँसते तारे को
शायद! किसी एक तारे में
मेरी माँ हँसती हुई दिख जायॆ |