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उजियारे की धूम है
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इस दीपोत्सव भी रहे,
खुद से यह अनुबंध।
निज में उजियारा करो, मृदुल रखो सम्बन्ध।।
उजियारे की धूम है, तिमिर रहा है काँप।
कितना प्यारा दृश्य ये, मिटा रहा संताप।
चहुँ दिशि उजियारा हुआ, टिम टिम करते दीप।
धरती पर पसरा दिखे, अद्भुत मोहक द्वीप।।
टिम टिम दीपों संग है, तारों की बारात।
खुशियाँ लेकर आ गयी, दीपोत्सव की रात।।
हिय का अँधियारा छटा, सब कुछ हुआ उजास।
दीपोत्सव ने यों भरा, मुझमें अब विश्वास।।
- राम शिरोमणि पाठक
१५ अक्तूबर २०१६ |
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