पत्र व्यवहार का पता

अभिव्यक्ति तुक-कोश

१. १०. २०२१     

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विजय का उत्सव साथ चले

 

 

विजय का उत्सव साथ चले
सब सच्चे कर्मों को जग में यश का गान मिले
साथ में सबका हाथ मिले

नहीं किसी से डर हो
डर को सच से हरदम डर हो
चाहे विषम डगर हो
मग में चाहे अगर मगर हो

विजय का निश्चय नहीं टले
सत्पथ पर चलते रहने का सबको मान मिले
तिलक शुभ सबके माथ खिले

सदा स्वस्ति का पग हो
पग पर सबका हस्त वरद हो 
चाहे नहीं मदद हो
पथ भी चाहे सुखद दुखद हो

प्रयत्न का उद्यम नहीं खले
श्रम की लगन न टूटे बस ऐसा वरदान मिले
फलित सबको सिद्धार्थ मिले

- पूर्णिमा वर्मन

इस माह
विजयदशमी के अवसर पर

गीतों में-

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आज तो दशहरा है

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और विजय के उत्सव कितने

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घोष विजय का गूँजे

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जय का सामान मुझे दे दो

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जीवन संग्राम में

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दूर नहीं अब विजय है

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मन आशा से दमक रहा

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रथ विजय का

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यह जीवन है संग्राम

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विजय का उत्सव साथ चले

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विजय पताका

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विजय मिलेगी

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विजयादशमी

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यह जीवन है संग्राम

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सत्य ही सदैव हो यहाँ जयी

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दोहों में-

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जीतेगा हर युद्ध

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सच की विजय

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शक्ति हरे दुख पाश

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सच्चाई की जीत

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यही हमारी जीत

अंजुमन में

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दशहरे की धूम है

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विजय जीत लूँगा

कुण्डलिया में-

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होती है उसकी विजय

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प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन