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        होती है उसकी विजय

 

होती है उसकी विजय, लेता जो संकल्प
श्रम से प्रतिउत्तर करे, व्यर्थ न करता जल्प
व्यर्थ न करता जल्प, विज्ञ हो या हो साक्षर
परबत पर वह लीक, खींच करता हस्ताक्षर
अपने बल जो 'रीत', निकाले नग से मोती
करता रहे प्रयास, विजय है उसकी होती



जग में क्यों लेता भला, उनका कोई नाम
राम अगर लड़ते नहीं, जीवन का संग्राम
जीवन का संग्राम , वचन को नहीं निभाते
राज-पाट के हेतु, नीति को यदि तज जाते
राम किंतु थे राम, चुने वन काँटे पग में
देना था संदेश, मिले जय सच से जग में ‌



दीपक जलता ही रहे, ये है उसका ध्येय
मिले रोशनी का कभी, काजल का भी श्रेय
काजल का भी श्रेय, नहीं पर विचलित होता
करता रहता कर्म, उदासी में नहीं खोता
लड़े हवा से 'रीत', नहीं है पथ से टलता
अँधियारे को जीत, सदा ही दीपक जलता

- परमजीत कौर 'रीत'
१ अक्टूबर २०२१

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