|
जय का सामान मुझे दे दो |
|
अपनी पूजा के बदले में जय का
सामान मुझे दे दो
वरदान ना दो चाहे लेकिन, राघव के बाण मुझे दे दो
तुमने देखा है राम राज, पर आज राम का राज कहाँ
जिसके पद पर जग है झुकता, वह सदाचार का ताज कहाँ
शोषित उत्पीड़ित माता के मुख पर न प्रभा की लाली है
युग का संदेश सुनाने को विप्लव के गान मुझे दे दो
मुझमें पौरुष अभिषापों को हँसकर वरदान बनाने का
मुझमें बल है पाषाणों से, सागर में सेतु रचाने का
इन आवर्तों में नाविक का बल विक्रम दूर न हो सकता
जलयान न दो चाहे लेकिन मेरे पाषाण मुझे दे दो
पूछो कपि पति से लंका को उसने किस भाँति जलाया था
पूछो अंगद से चरणों में वह शक्ति कहाँ से लाया था
वह सदाचार की शक्ति रही पावन सतीत्व की ज्वाला थी
जिससे रणचंडी ने पहनी अरि नरमुंडों की माला थी
वह शक्ति न दो चाहे लेकिन उसकी पहचान मुझे दे दो
- धमयंत्र चौहान
१ अक्टूबर २०२१ |
|
|
|
|