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        विजय का उत्सव साथ चले

 

विजय का उत्सव साथ चले
सब सच्चे कर्मों को जग में यश का गान मिले
साथ में सबका हाथ मिले

नहीं किसी से डर हो
डर को सच से हरदम डर हो
चाहे विषम डगर हो
मग में चाहे अगर मगर हो

विजय का निश्चय नहीं टले
सत्पथ पर चलते रहने का सबको मान मिले
तिलक शुभ सबके माथ खिले

सदा स्वस्ति का पग हो
पग पर सबका हस्त वरद हो 
चाहे नहीं मदद हो
पथ भी चाहे सुखद दुखद हो

प्रयत्न का उद्यम नहीं खले
श्रम की लगन न टूटे बस ऐसा वरदान मिले
फलित सबको सिद्धार्थ मिले

- पूर्णिमा वर्मन
१ अक्टूबर २०२१

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