अनुभूति मेंM सौरभ
आर्य की रचनाएँ
खेल राजनीति
का
क्यों लाएँ बदलाव हम
मैं लिखूँगा
मेरी प्रयोगशाला
आँसू जो हैं सूख गए
चले हैं हम
होली
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मैं लिखूँगा
मैं लिखूँगा
इतिहास तुम्हारा
और वो सारी बातें
जिसे छुपाए तुम फिरते हो
मैं लिखूँगा फिर से नियम
धर्म के कानून सारे
अब पक्ष मे होंगे हमारे
आज दिन हमारा है
और जवाब देना है तुम्हें
हजारों वर्षों का
हिसाब देना है तुम्हें
इसलिए मै लिखूँगा
और तुम पढ़ोगे
कैसे खत्म हुई
मेरी दासता की दास्तान
और सत्ता कैसे पाई हमने
एकजुटता कैसे लाएँ हम
दीवारों को कैसे गिराया
और कैसे अपना घर बनाया
आज मैं लिखूँगा
९ अक्तूबर २००४
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