अनुभूति में
कृष्ण कुमार
यादव की रचनाएँ
नई कविताएँ-
बचपन
माँ का पत्र
संबंध
कविताओं में-
वातायन
खामोशी
घड़ियाँ
तुम्हें जीता हूँ
परी
मरा हुआ बच्चा |
|
माँ का पत्र
घर का दरवाज़ा खोलता हूँ
नीचे एक पत्र पड़ा है
शायद डाकिया अंदर डाल गया है
उत्सुकता से खोलता हूँ
माँ का पत्र है
एक-एक शब्द दिल में उतरते जाते हैं
बार-बार पढ़ता हूँ
फिर भी जी नहीं भरता
पत्र को सिरहाने रख
सो जाता हूँ
रात को सपने में देखता हूँ
माँ मेरे सिरहाने बैठी
बालों में उँगलियाँ फिरा रही है।
११ अगस्त २००८ |