अनुभूति में
कृष्ण कुमार
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वातायन
खामोशी
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तुम्हें जीता हूँ
परी
मरा हुआ बच्चा |
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तुम्हें जीता हूँ
मैं तुम्हें जीता हूँ
तुम्हारी साँसों की खुशबू
अभी भी मेरे जेहन में है
तुम्हारी आँखों की गहराइयाँ
अभी भी उनमें डूबता जाता हूँ
तुम्हारी छुअन का अहसास
अभी भी मुझे गुदगुदाता है
तुम्हारे केशों की राशि
अभी भी मेरे हाथों में है
तुम्हारी पलकों का उठना और गिरना
अभी भी मेरी धड़कनों में है
तुम्हारे वो मोती जैसे आँसू
अभी भी मेरी आँखों में हैं
तुम्हारा वो रूठना और मनाना
सब कुछ मेरी यादों में है
नहीं हो तो सिर्फ़ तुम
पर क्या हुआ
तुम्हारे वजूद का अहसास
अभी भी मेरी छाया में है
क्योंकि मैं तुम्हें जीता हूँ।
२१ अप्रैल २००८
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